Detailed Notes on Shodashi

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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥३॥

सौवर्णे शैलश‍ृङ्गे सुरगणरचिते तत्त्वसोपानयुक्ते ।

She is commemorated by all gods, goddesses, and saints. In a few places, she's depicted putting on a tiger’s skin, which has a serpent wrapped all around her neck as well as a trident in a single of her palms while the opposite holds a drum.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥४॥

He was so strong that he manufactured your entire planet his slave. Sage Narada then asked for the Devas to accomplish a yajna and through the fireplace in the yajna appeared Goddess Shodashi.

The path to enlightenment is frequently depicted as an allegorical journey, with the Goddess serving because the emblem of supreme electricity and energy that propels the seeker from darkness to light.

षट्पुण्डरीकनिलयां षडाननसुतामिमाम् ।

This Sadhna evokes countless strengths for all spherical fiscal prosperity and steadiness. Expansion of read more organization, identify and fame, blesses with extensive and prosperous married existence (Shodashi Mahavidya). The outcome are realised quickly once the accomplishment of your Sadhna.

श्रीं‍मन्त्रार्थस्वरूपा श्रितजनदुरितध्वान्तहन्त्री शरण्या

करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?

श्रीगुहान्वयसौवर्णदीपिका दिशतु श्रियम् ॥१७॥

सा देवी कर्मबन्धं मम भवकरणं नाश्यत्वादिशक्तिः ॥३॥

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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